Now Russia Is Standing With Armenia In War, Turkey's Foreign Minister Arrived Ajarbejan.

युद्ध में अर्मेनिया के साथ खड़ा हो गया रूस, तुर्की के विदेश मंत्री पहुंचे अजरबैजान


News


New Delhi: अर्मेनिया-अजरबैजान में चल रहे युद्ध को महीनेभर से ज्यादा का समय हो चुका है, दोनों देशों में आग के गोले बरस रहे हैं और 5 हजार से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। तीन बार युद्ध विराम की कोशिश भी नाकाम हो चुकी है। इस बीच विश्व समुदाय में टेंशन बढ़ गई है। अभी तक बातचीत के रास्ते मामले को सुलझाने की कोशिश करने वाला रूस खुलकर अर्मेनिया के समर्थन में खड़ा हो गया है। 

रूस के विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि यदि अर्मेनिया के क्षेत्र में हमला होता है तो रूस खुलकर अर्मेनिया के साथ लड़ेगा। रूस ने यह बयान अर्मेनिया की ओर से मदद मांगे जाने के बाद दिया है। अर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोल पशनियन ने हाल ही रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन को लैटर लिखकर तुरंत मदद मांगी थी। 

रूस की विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जाखारोवा ने कहा, रूस अर्मेनिया को सहायता देगा। पूरी जानकारी बाद में दी जाएगी। हालांकि रूस आर्मेनिया की सहायता करने के लिए सहमत हो गया है, फिर भी इसने युद्धरत पक्षों को तुरंत आग बुझाने, तनाव को कम करने और ठोस वार्ता शुरू करने का आह्वान किया है। अर्मेनिया के प्रधानमंत्री पशनियन ने दोनों देशों के बीच 1997 की आपसी रक्षा संधि का हवाला देते हुए तुरंत मदद की गुहार लगाई थी। पशनियन ने कहा कि अजरबैजान तुर्की के सहयोग से धीरे धीरे अर्मेनिया की ओर बढ़ रहा है, ऐसे में उन्हें तुरंत सैन्य और सामरिक सहायता चाहिए। 

इधर, खबर है कि तुर्की के विदेश मंत्री रविवार को अजरबैजान पहुंच गए हैं। विदेश मंत्री मेवलुत कावूसोगलू की ओर से कहा गया, हम अपने दोस्त अजरबैजान की मदद के लिए बाकू राजधानी पहुंच गए हैं। दोनों देश एक दूसरे के शहरों पर बमबारी करने का आरोप लगा रहे हैं। अजरबैजान के राष्ट्रपति के सहयोगी हिकमत हाजियेव का दावा है कि अर्मेनिया लगातार उनके शहरों पर मिसाइलों से हमला कर रहा है। 

विशेषज्ञों का कहना है कि युद्ध में रूस के सीधे उतरने से टेंशन काफी बढ़ सकती है। रूस ने यदि इस लड़ाई में सीधे हिस्सा ले लिया तो हर तरफ तबाही ही तबाही होगी। शक्तिशाली देश रूस दुनिया की टॉप पावरफुल मिलिट्री रखता है। इधर, तुर्की भी पीछे हटने को तैयार नहीं है, ऐसे में यह लड़ाई विकराल युद्ध की शक्ल ले सकती है। 

क्यों छिड़ा है युद्ध

यह युद्ध नागोर्नो कारबाख (Nagorono Karbakh) के विवादित क्षेत्र पर कब्जे के लिए छिड़ा है। कहा जाता है कि अधिकारिक रूप से यह अजरबैजान का हिस्सा है, लेकिन यहां की ज्यादातर आबादी अर्मेनियाई है। यह क्षेत्र सोवियत संघ के टूटने के बाद 1990 के दशक में दोनों देशों के बीच युद्ध छिड़ने के बाद से अर्मेनिया द्वारा नियंत्रित किया गया है। हालांकि अजरबैजान इस पर अपना कब्जा बताता है। 1994 में हुए युद्ध के बाद कम से कम 30,000 लोग मारे जा चुके हैं। यह संघर्ष दोबारा 27 सितंबर को बढ़ गया था। इसके बाद से ही लगातार शहरों पर मिसाइल हमले हो रहे हैं। 

Comments

Popular posts from this blog

नोएडा के 20 हजार मजदूरों के रहने का इंतजाम कर रहे सोनू सूद, दिलाएंगे रोजगार

Jaipur Me Pakdi Gayi 'Fake Officer' Nayab Tahasildar Neeru Singh Ne Kiya Pardafaash.

Two Tigers Faught Very Cruelly In Wild.