Indian Supersonic 'Brahmos' Missile Hit Perfect Aim.

सटीक निशाने पर लगी सुपरसोनिक मिसाइल 'ब्रह्मोस', कांप गया ड्रैगन


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New Delhi:  भारत की जल, थल और नभ सेना की ताकत में लगातार इजाफा हो रहा है। महज तीन हफ्तों में आठ मिसाइलों का परीक्षण कर भारत ने चीन और पाकिस्तान को संदेश दे दिया है कि उसने भारत की ओर आंख उठाने की भी हिम्मत की तो अंजाम 'तबाही' ही होगा। भारत ने रविवार को भारतीय नौसेना के स्टील्थ डिस्ट्रॉयर से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण कर लिया है।

इंडियन नेवी के लड़ाकू जहाज से किए गए इस परीक्षण से ब्रह्मोस (Brahmos) मिसाइल अपने सटीक निशाने पर जाकर लगी। मिसाइल ने सफलतापूर्वक अपने लक्ष्य को निशाना बनाया। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने एक बयान में कहा, ब्रह्मोस, सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का भारतीय नौसेना के स्वदेशी रूप से निर्मित स्टील्थ डिस्ट्रॉयर आईएनएस चेन्नई से सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। 

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सफल प्रक्षेपण के लिए डीआरडीओ, ब्रह्मोस और भारतीय नौसेना को बधाई दी है। डीआरडीओ के चेयरमैन जी. सतीश रेड्डी ने इस उपलब्धि के लिए डीआरडीओ के वैज्ञानिकों और सभी कर्मचारियों, ब्रह्मोस, भारतीय नौसेना और इंडस्ट्री को बधाई दी। उन्होंने कहा कि ब्रह्मोस मिसाइल कई तरीकों से भारतीय सशस्त्र बलों की क्षमताओं में इजाफा करेगी। 

इससे पहले ओडिशा के बालासोर में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल प्रायोगिक परीक्षण किया गया था। इस मिसाइल की मारक क्षमता 400 किलोमीटर से ज्यादा है। डीआरडीओ के अनुसार, मिसाइल को समुद्र, जमीन और लड़ाकू विमानों से भी दागा जा सकता है। डीआरडीओ और रूस के प्रमुख एरोस्पेस उपक्रम एनपीओएम द्वारा संयुक्त रूप से विकसित ब्राह्मोस मिसाइल 'मध्यम रेंज की रेमजेट सुपरसोनिक क्रूज' मिसाइल है, जिसे पनडुब्बियों, युद्धपोतों, लड़ाकू विमानों तथा जमीन से दागा जा सकता है। यह मिसाइल पहले से ही भारतीय थलसेना, नौसेना और वायुसेना के पास है। इसे दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल माना जाता है।

ब्रह्मोस सुपर सोनिक क्रूज मिसाइल को रूस की एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया और भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने संयुक्त रूप से विकसित किया है। यह रूस की पी-800 ओंकिस क्रूज मिसाइल की प्रौद्योगिकी पर आधारित है। ब्रह्मोस मिसाइल का नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मस्कवा नदी पर रखा गया है। इस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की गति ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना अधिक है।

भारत अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख में चीन से लगने वाली सीमाओं पर पहले ही ये ब्रह्मोस मिसाइल तैनात कर चुका है। पहले इसकी रेंज 290 किलोमीटर थी बाद में 400 किलोमीटर से ज्यादा तक कर दी गई है। सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल 450 किलोमीटर से अधिक दूरी तक निशाने को तबाह कर सकती है। 

आठवां परीक्षण 

लद्दाख में चीन के साथ बढ़ते तनाव को देखते हुए भारत भी अपनी सेना को मजबूत करने में जुटा हुआ है। भारत ने तीन हफ्तों में आठ मिसाइलों के परीक्षण किए हैं। इससे पहले भारत ने 16 अक्टूबर को पृथ्वी 2 मिसाइल, भारत ने शुक्रवार को ओडिशा तट पर स्वदेशी रूप से विकसित परमाणु सक्षम पृथ्वी-2 बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया पृथ्वी-2 350 किलोमीटर की दूरी पर स्थित लक्ष्य पर हमला करने में सक्षम है। वहीं भारत ने पिछले हफ्ते भारतीय वायु सेना के एक सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू जेट में स्वदेशी न्यू जेनरेशन एंटी-रेडिएशन मिसाइल (एनजीआरईएम) का परीक्षण किया। इस मिसाइल को भी डीआरडीओ ने तैयार किया है। 

23 सितंबर को भारत ने एक अर्जुन टैंक से एक एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल का परीक्षण किया। 30 सितंबर को भारत ने ब्रह्मोस मिसाइल के विस्तारित-रेंज संस्करण का परीक्षण किया। अक्टूबर की शुरुआत में हाइपरसोनिक परमाणु-सक्षम शौर्य मिसाइल का परीक्षण किया गया था। मिसाइल भारत की K-15 पनडुब्बी द्वारा लॉन्च की गई बैलिस्टिक मिसाइल का एक संस्करण है, जो लगभग 750 किमी की दूरी पर सटीकता के साथ दुश्मन के लक्ष्य को मार सकती है।

5 अक्टूबर को भारत ने टॉरपीडो की सुपरसोनिक मिसाइल असिस्टेड का परीक्षण किया। यह एक ऐसी प्रणाली है, जिसका इस्तेमाल दुश्मन की पनडुब्बियों को टारपीडो रेंज से परे करने के लिए किया जा सकता है। इस महीने के अंत में, भारत अपनी निर्भय सबसोनिक क्रूज मिसाइल का परीक्षण कर सकता है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि चीन से सीमा विवाद के बीच भारत अपनी सैन्य ताकत को किस तरह मजबूती दे रहा है। सबसे अहम बात यह है कि रक्षा के क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। 

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