Ajarbejan Ka Davaa: Armenia Bachcho Se Tope Chalwa Rha Hai.
अजरबैजान का दावा, अर्मेनिया बच्चों से चलवा रहा तोपें, मिला करारा जवाब
New Delhi: अर्मेनिया और अजरबैजान में तमाम कोशिशों के बाद भी युद्ध भीषण होता जा रहा है। इस युद्ध में पाकिस्तान, रूस, फ्रांस और अमेरिका की एंट्री हो चुकी है। इस युद्ध में अब तक 5 हजार से ज्यादा जानें जा चुकी हैं और दोनों देशों के शहरों में आग के गोले बरस रहे हैं।
इस बीच अजरबैजान के राष्ट्रपति के सहयोगी हिकमत हाजियेव ने एक वीडियो ट्वीट कर अर्मेनिया पर युद्ध में बच्चों को इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। हाजियेव ने ट्वीट कर लिखा, वीडियो में दिख रहा है कि अर्मेनिया बच्चों से हथियार चलवा रहा है, इसकी जांच होनी चाहिए। 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को भर्ती करना और उनका उपयोग करना, अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून संधि और प्रथा के तहत प्रतिबंधित है। इसे ICC द्वारा युद्ध अपराधों के रूप में परिभाषित किया जाता है। इससे पहले हाजियेव ने ट्वीट कर फ्रांस पर दखल देने के लिए कहा, उन्होंने ट्वीट किया, हम फ्रांस के संसदीय प्रतिनिधिमंडल को युद्ध अपराधों और विशेष रूप से अर्मेनिया के पीएम के साथ एक बैठक के दौरान हुई चर्चा को याद दिलाने की सलाह देते हैं, जिसमें गांजा और अजरबैजान के खिलाफ बैलिस्टिक मिसाइलों का उपयोग कर अन्य शहरों में हमले किए गए थे। इधर, अर्मेनिया का कहना है कि अजरबैजान लगातार उसके शहरों को निशाना बना रहा है। अजरबैजान की ओर से क्लस्टर मिसाइलों से हमले किए जा रहे हैं, जिससे मासूमों की जान जा रही है।
तुर्की ने भेजे 'भाड़े के लड़ाके'
अर्मेनिया के प्रधानमंत्री का निकोल पशनियन का एक इंटरव्यू सामने आया है। इसमें उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान अजरबैजान का खुलकर समर्थन कर रहा है और उसने अजरबैजान अपने सैनिक भेज दिए हैं। वहीं, पशनियन ने तुर्की पर भी युद्ध भड़काने का आरोप लगाया है। भाड़े के सैनिकों को तुर्की द्वारा संघर्ष क्षेत्र में लाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि शायद, इस युद्ध की बहुस्तरीय प्रकृति एक कारण है, जिससे हम शांति प्राप्त नहीं कर सकते हैं।
दोनों देशों के बीच महीनेभर से चल रहे युद्ध में कई महाशक्तियां सामने आ गई हैं। रूस के बाद अब अमेरिका एक्टिव हो गया है। अमेरिका ने दोनों देशों के प्रतिनिधियों को बातचीत के लिए बुलाया है। फ्रांस ने खुलकर आर्मीनिया के साथ अपना पक्ष चुन लिया।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा, 'नागोरनो-काराबाख में 5000 से ज्यादा सैनिक मारे जा चुके हैं। मैं आपका ध्यान दिलाना चाहता हूं कि 10 साल तक तक चली अफगानिस्तान की जंग में सोवियत यूनियन और सोवितय आर्मी के 13,000 लोगों की मौत हुई थी। लेकिन इस जंग में इतने कम वक्त में ही 5000 से ज्यादा सैनिकों की मौत हो चुकी है। क्या घायलों और पीड़ितों की कोई गिनती है? हजारों बच्चे दर्द में हैं।'
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